V.S Awasthi

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मेरा मुझमें कुछ नहीं क्या करूं आपको अर्पण

मेरा मुझमें कुछ नहीं क्या करूं आपको अर्पण।
अहंकार से भरा हुआ हूं करता मैं वही समर्पण।।

स्वीकार करो प्रभु भेंट हमारी मेरा मन रीता कर दो।
मेरे दिल में अपने चरणों की भक्ति प्रभु जी भर दो।।

अहंकार के कारण ही मैं कुछ भी ना कर पाता हूं।
दिया आपने जो भी मुझको अपना कह चिल्लाता हूं।

यही तो मेरा अहंकार है प्रभु इसको अब दूर हटा दो।
अपनी भक्ति का दीप जला ज्ञान की ज्योति लगा दो।।

करुणा, दया, निस्वार्थ प्रेम की दिल में फसल उगा दो।
ईर्ष्या ,द्वेष, स्वार्थ,नफरत को दिल से हे प्रभु मिटा दो।।

"पथिक"भी कितना लोभी,है संसार सिन्धु में फंसा हुआ।
आपकी भक्ति भूला गया धन,वैभव दलदल में धंसा हुआ

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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3 Comments

Gunjan Kamal

16-Jul-2023 01:07 AM

👌👏

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Varsha_Upadhyay

15-Jul-2023 07:24 PM

बहुत खूब

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Alka jain

15-Jul-2023 02:02 PM

Nice one

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